Wednesday, April 29, 2009

कुरान की पुनर्व्याख्या की आवश्यकता क्यूँ ??


आज फिर एक विस्फोट ,फिर एक धमाका , फिर सैकडो जिंदगियों का ख़त्म हो जाना.हजारो लोगो का फिर से एक अनजानी दहशत में डूब जाना,फिर सरकार के कुछ संगठनो का मर्म स्पर्शी बयान आतंक बाद से लड़ने का वादा आतंक बाद ख़त्म करने का इरादा ,फिर वही शांति मार्च कैंडल मार्च फिर वही कुछ गिरफ्तारिया , कुछ वांटेड कुछ मोस्ट वांटेड तस्वीरे , कुछ मोटे बयान एक नया आतंक बाद बिरोधी दस्ता सख्त कदम उठाने का अस्वासन . प्रधान मंत्री का पडोसी देश से बाज आने के लिए अनुरोध या चेतावनी ,पर कुछ दिन बाद सब शांत सब चुप, जैसे कुछ हुआ ही नहीं सब फिर से चल पड़ा ,मगर उनका क्या जिनकी जिंदगिया इससे प्रभावित हुई जिनके माँ बाप , जिनके भाई , जिनकी बहन और पति खो गए और बच्चे हुए यतीम , जिन का घर छिन गया जिन का जीवन जीने का आसरा छिन गया, मेरी ये समझ में नहीं आता की कोई व्यक्ति आतंकबादी बनता कैसे है ,कैसे उसमे अपने ही जैसे सुख दुःख दर्द वा भावनाए महसूस करनेबाले इंसानों को मारने का भूत सबार हो जाता है.क्यों कोई व्यक्ति हजारो व्यक्तियों की म्रत्यु के लिए प्रयाश करने लगता है ,इसके लिए कौन जिम्मेदार है?उसके संस्कार या उसकी शिक्षा या फिर समाज या धर्म . हम ये भी नहीं कह सकते की आतंक बाद फैलाने वाले अनपढ़ या समाज से कटे हुए लोग होते है ,और उन्हें दुनियादारी की समझ ही नहीं होती है , उन्हें रिश्ते नातो की परख ही नहीं होती है या फिर उन्हें भावनियता का अनुभव ही नहीं होता है , यहाँ पर मैं विवाद नहीं पैदा करना चाहता हूँ ,पर ना जाने क्यूँ पकडे हुए सभी आतंक बादी एक ही धर्म विशेष के होते है मैं ये नहीं कहना चाहता हूँ की कोई धर्म बिशेष इस तरह की घटनाओं की आज्ञा देता हैया प्रोत्साहन करता है , पर कही ना कहीं , कोई ना कोई कड़ी जरुर है जो इस सब के लिए जिम्मेदार है , अब वो क्या है समाज या फिर धर्म इसकी व्यापक व्याख्या करने है की आवश्यकता है तो क्यूँ न हम इन चीजो पर खुली वहश करे ,क्यों नहीं उन कारणों की तह में जाने का प्रयाश करे जो इस सब के लिए जिम्मेदार है फिर वो चाहे धर्म हो, समाज हो, या फिर बहुत पुराने समय से चली आ रही कई परम्पराए या ,फिर कई ऐसे विचार व्यवहार जो जब बो बनाए गए हो तब बहुत उपयोगी रहे हो पर इस समय आधुनिक परिस्थितियों में उपयोगी नहीं है पर हम उन्हें अपने साथ ढो रहे है फिर वो चाहे उनकी आवश्यकता का जोर दे कर , या फिर समाज को उनकी जरुरत बताकर या फिर धर्म का आडम्बर करके ही क्यूँ ना मैं नहीं कहता की की सभी पुरानी परम्पराए और विचार वेकार हो गए है और हमें उनकी आवश्यकता नहीं है , बल्कि मैं कहना चाहता हूँ की शदियो से चली आ रही परम्पराओं को समझे और उनका सही निर्धारण करे , और उनको सही तरीके से उपयोग में लाये , जिससे हम समाज के हित में रास्ट्र के हित में और मनुष्य हित में कुछ सकारात्मक कर सके फिर चाहे हमे उन परम्पराओं को बदलना ही क्यूँ ना पड़े उनकी पुनर्व्याख्या ही , क्यूँ ना करनी पड़ेहमें करनी चाहिए हो सकता हो हमें कई रीतियों और धारणाओं को विल्कुल मिटाना पड़े हमें ऐसा करना चाहिए क्यों की समाज को इसकी आवश्यकता है अब जब हम ऐसा करेगे तो उन विचारो धारणाओं एवं रीतियों से जिन लोगो का आस्तित्व है ऐसी रूडी परम्पराए फैला कर जो समाज में जिदा है , धर्म एवं परम्पराओं का भय दिखाकर जो चन्द लोग एक बहुत बड़े मानव समूह का नेत्रत्व करने की मनसा रखते है और अपने आप को उनका अकेला हिमायती या आलमबदार मानते है जरुर ही इसका विरोध करेगे वे नहीं चाहेगे की किसी भी तरह सामान्य जन जागरूक हों वा उनके विरोध में खडे हो एक दुसरे को लड़वाकर समाज में भय हिंसा एवं अराजकता फैलाकर ही जो लोग अपना साम्राज्य चलाते है उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए हमे जागरूक होने की आवश्यकता है हमें अपनी पुनर्व्याख्या करनी चाहिए चाहे वो किसी स्तर पर ही क्यूँ ना हो जब हम विज्ञानं अध्यात्म और अन्य व्यख्याये कर सकते है तो धर्म की क्यों नहीं हमें धर्म की व्याख्या के लिए भी स्वतंत्र होना चहिये हम देखते है जब विज्ञानं में पुराने विचार और नियम नए विचारो एवं नियमो के आने के बाद बदले जा सकते है और बदले जाते है तो धर्म की व्याख्या में वैसा क्यों नहीं हो सकता है ?मैं सभी धर्मो के बारे में नहीं कह रहा कई धर्मो ने अपने आप को बदला भी है और अपनी पुनर व्याखा भी की है हिन्दू धर्म इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है आज की आवश्यकता के हिसाब से उसने अपनी कई पुरानी परम्पराए छोडी और नयी ग्रहण की है अगर किसी धर्म में कोई बदलाब नहीं हुआ तो वो है मुस्लिम धर्म अब ये बहुत बड़ा प्रश्न है की आखिर क्यूँ इस धर्म ने अपने आप को बदलने की आवस्यकता नहीं समझी क्या इसे बदलने की जरुरत ही नही ? ऐसा नहीं है बल्कि मैं तो कहूँगा की सबसे ज्यादा अज्ञानता अंधविस्वाश एवं मानव वैर की भावना इसी मजहब में है आज विश्व में फैली अराजकता इसी मजहब के अंध विस्वाश के कारण है आखिर क्यूँ नहीं इस मजहब के कुछ ठेकेदार इसमें बदलाव की बात करते है आखिर क्यूँ नहीं वो लोग रूडी अंध विश्वासी बातो को छोड़ कर समाज हित के लिए विश्व हित के लिए और अपने कौम हित के लिए नई विचार धाराओ को अपनाते है अगर समाज में शांति रहेगी तो उनका क्या बिगडे गा हाँ उनका साम्राज्य खत्म हो जाएगा जिन चीजो का भय धिकार वो लोगो को गुमराह करते आरहे है उनका वो धंदा बंद हो जाएगा जब हम विश्व परिद्रश्य में देखेते है तो हमे पता लगता है की विश्व की नब्बे की प्रतिसत आतंक बादी घटनाओं की के लिए एक ही मजहब जिम्मेदार है और वो है मुस्लिम धर्म जब कोई आतंक बादी घटना होती है तो हम उसमे शामिल मुस्लिम व्यक्तियों बारे में कहते है कि उसने ये सब धार्मिक जूनून और उन्माद के कारण किया जिन्हें वो लोग तरह तरह नाम देते है और अपनी तरह से उनकी तरह तरह कि व्याख्या भी करते है , और ये सिद्ध करने का प्रयाश भी करते है कि वो ही सही है , वो कहते है कि वो वही कर रहे है जो उनके ईस्वर अर्थात खुदा ने उन्हें बताया है और जो उनके पूर्वज शदियो से करते चले आ रहे है, वो इन्हें जेहाद धर्म युद्ध या और भी कुछ कह सकते है वो इसमें कुरान का भी वास्ता देते है” पर”, अपनी तरह से , और उसकी पुनर्व्याख्या भी नहीं करना चाहते है आखिर क्या है कुरान में और क्यूँ ये उसकी पुनर्व्याख्या नहीं करना कहते है क्या ऐसा करने से धर्म के उन कुछ ठेकेदारों को अपना साम्राज्य छीन जाने का डर है जो कुरान को अपरिवर्तनीय बता कर लोगो में भय पैदा कर अपना साम्राज्य चला रहे हैया फिर कुरान पर खुली बहश से उन्हें अपनी सच्चाई सामने आने का डर है जिसके सामने आते ही लाखो हजारो लोगो के विस्वाश पर एक कुठारा घात होगा क्यों की करोडो ऐसे लोग है जिन्हों ने भाषाई विलगता के कारण अभी तक कुरान को नहीं पढ़ा और वे कुरान के बारे में अभी तक वही जानते आरहे है जो धर्म के कुछ चंद ठेकेदारों ने इन्हें बता रखा है और उन लोगो ने इन्हें वही बता रखा है जिससे उन्हें अपना फायदे की उम्मीद है उन्होंने कुरान की सच्चाई को आम आदमी से छुपा कर रखा क्यों की उन्हें डर है की कुरान की सच्चाई और उसमे वर्णित व्याख्याओ की सच्चाई आम आदमी और कुरान को मानने वाले लोगो के सामने आये गी तो उन लोगो का इन धर्म के चंद ठेकेदारों पर से विस्वाश उठ जाए गा और इनकी बातो पर अमल करना तो दूरवो उन्हें सुनना भी पसंद नहीं करेगे और उन लोगो के सामने भी सच्चाई आएगी जो अभी तक कुरान को निरी जिहालत भरी किताब ही समझते रहे है वो समझ सकेगे की कुरान की जैसी व्याख्या इन लोगो ने कर रखी है वैसा कुरान में कुछ भी नहीं है वो भी उतनी ही पवित्र और सामाजिक है जितनी अन्य किताबे अगर कही ऐसा हुआ तो उनका क्या होगा जिनकी जिन्दगी ही लोगो को गफलत में रख कर अपने आप को इस्लाम का आलम बरदार बताने की है उनका तो आस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा इसी लिए इन लोगो ने कभी भी कुरान की सच्चाई को लोगो के सामने नहीं आने दिया हमेशा ही इसे खुदा के द्वारा जमीन पर उतारी गयी किताब बताकर और उसकी अपरिवर्तनता का वास्ता देकर लोगो को गफलत में रखा कभी कभी जब प्रबुद्ध वर्ग के किसी व्यक्ति ने ( चाहे वो हिन्दू हो या फिर मुसलमान या फिर किसी और धर्म का )जनहित में , समाज हित हित में इन कट्टर पंथी कठमुल्लाओ के खिलाफ, तथा कुरान के नाम पर फैली अंधविस्वाशी परम्पराओ के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की तो इन मजहब के कथित ठेकेदारों ने उनकी आवाज को दवाने का हर संभव प्रयाश किया उन्हें तरह तरह से ` प्रलोभित व प्रताडित किया उनके खिलाफ अनेक मनगढ़ंत फतवों की वौछार कर दी और उनकी जुबान या कलम जिससे वो समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे थे को पूर्णता रोक दिया और कई वार कई जगह इन मानवता के पुजारियों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा पर इन कठ मुल्लाओ की नीतियों में कोई बदलाब नहीं आया आज हम मुस्लिम समाज की दयनीय स्तिथि को बखूबी देख सकते है अंध विस्वाश ने मुस्लिम समाज को किस कदर अपनी गिरफ्त में लेरखा है इसकी व्याख्या हम आगे के प्रष्टों में करेगेमुस्लिम समाज की नीतियों वा कठ मुल्लाओ की जेहादी प्रक्रति से मानवता को होने बाला नुकसान तो सर्वविदित है , और हम ये भी जानते है की भारत की जनसँख्या वृधि का अगर अनुपातिक आंकलन किया जाए तो सबसे ज्यादा योगदान मुस्लिम परिवारों का है लोग मानते है की जनसँख्या वृधि के लिए अशिक्षा जिम्मेदार है पर मैं ऐसा नहीं मानता हूँ और ना ही ये की सारी जनसँख्या व्रद्धी के लिए सभी अनपढ़ मुस्लिम परिवार ही जिम्मेदार है बल्कि कई पढ़े लिखे मुस्लिम ,बच्चे केवल इसी लिए पैदा करते है क्यों की इन कठ मुल्लाओ ने उनके अन्दर एक अप्रत्यासित दहशत फैला रक्खी है की इस हिन्दू वहुल समाज में उन्हें अगर रहना है तो अपनी जनसँख्या बढानी होगीअन्यथा हिन्दुओ की बढ़ी हुई जनसँख्या उनके लिए समस्या खड़ी कर देगी और उनके लिए अपने अस्तित्व को बचाए रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा हो सकता है उनका आस्तित्व ही ख़त्म हो जाये इसीलिए अगर उन्हें हिन्दुस्तान में रहना है तो उनका पर्याप्त संख्या में होना जरुरी है पर्याप्त संख्या में होने के लिए उन्हें बच्चे पैदा करने होगे अब अगर ऐसा होगा तो जनसँख्या व्रद्धी से आने बाले नकारात्मक प्रभाव तो आने ही थे फिर क्या था जनसँख्या व्रद्धी के फलस्वरूप भुखमरी गरीबी वेरोजगारी और वीमारी ने इस समाज को अपनी पकड़ में ले लिया उसका व्यापक प्रभाव समाज के अन्य वर्ग पर भी दिखाई देता है क्यूँ की समाज एक कड़ी के द्वारा एक दूसरे से जुडा है अगर उसके किसी हिस्से में सकरात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो उसका सीधा असर हम दूसरे हिस्से में देख सकते है . देश की सबसे बड़ी दूसरी समस्या अशिक्षा भी मुस्लिम धर्म की नीतियों के कारण है क्यों की धर्म के इन ठेकेदारों ने मदरसी शिक्षा पर जोर देकर अन्य शिक्षा को प्रतिवंधित सा कर दिया है