Tuesday, March 16, 2010

एक मुसलमान ऐसा भी (प्रवीण पथिक )


मन की इच्छाए जब अपनी सामर्थ से बाहर आसमान छूने का प्रयाश करती है तो , ऐसी उदंड इच्छाओ से पार पाना मुश्किल हो जाता है ,,, तब संयम ही एक मात्र लाठी होती है जिससे इन्हें सवांरा जा सकता है या मै कहूँ की नियंत्रित किया जा सकता है ,,, लेकिन एक चीज ये भी देखने लायक है की ये इच्छाये भी मानवीय गुण है दोष नहीं ,,,मगर इच्छाओ की उदंडता दोष युक्त पथ की ओर अग्रसित करती है ,,,, मै यहाँ पर इच्छाओ की इतनी व्याख्या इस लिए कर रहा हूँ की आगे के संस्मरण में मै जिस व्यक्ति का वर्णन करूँगा ,, उसके चरित्र के लिए इन इच्छाओ का बड़ा महत्त्व हो जाता है,,,, क्या संस्मरण मै संस्मरण नहीं लिखता लेकिन अगर भावनाओ की अनुभूति अगर संस्मरण है और उसे लिपि बद्ध करना अगर संस्मरण लेखन है तो मै संस्मरण ही लिख रहा हूँ ,,,,,हर व्यक्ति का जीवन अनन्त उतार चढाव भरा होता है ,,, अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों का मिलन और और उनका विछुड़ना आगमन और गमन कभी तो बिलकुल निर्थक हो सकता है और कभी कभी एक नयी दिशा देता है ,, और कभी कभी इसका उल्टा भी होता है अर्थात दिशाओं का रोधन भी करता है ,, नव मिलन व्यक्ति की व्रत्ति और इच्छाए ही निर्धारित करती है ,, परन्तु अच्छे व्यक्ति का मिलन ( इसे अगर मै सीधे ग्रामिक शब्दों में कहूँ तो महान व्यक्तियों का मिलन )दैवीय क्रपा का ही प्रतिफल है अब बात को ज्यादा न लम्बा खीचते हुए मै सीधे ही कहूँगा तथा तथ्यों का व्योरे बार वर्णन भी नहीं करूँगा इससे विषय की गम्भीरता ख़त्म हो जाती है और विषय भी लम्बा हो जाता है ,,,,
आज मुझे अकबर खान राना जी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इसे दैवीय नियति ही कहेगे या फिर मेरी भाग्य हीनता लगभग सात आठ महीने लम्बे गंभीर वैचारिक संबंधो के बाबजूद मिलने का सौभाग्य नहीं मिला ,, मै अपने आप को बहुत हीन और लज्जित मह्शूश करताहूँ ,,,मै सोचता हूँ की राष्ट्र वादिता का जो भारी ढोल मै पिछले आठ साल से मै अपने गले में डाले झूम रहा हूँ और उस पर अपनी ही थाप देकर खुद उसकी प्रति ध्वनी सुन कर मदहोश हो जाता हूँ ,,,, उस राष्ट्र वादिता के भीष्म पितामाह ,, हरियाणा के ये छोटे से गाव में उस राष्ट्र वादिता को जी रहे है ,,,,मै अपने आप को तब और धन्य पाता हूँ,, जब राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण उनका प्रेम और उनकी अनुरुक्ति शब्दों की जहग आशुं बन कर प्रस्फुटित होती है,,,,,, वो येसा महान व्यक्तित्व है जिनकी व्याख्या मै कर ही नहीं सकता उनके बारे में तो बस इतना ही कहूँगा ,,,, की समाज की पीड़ा को जो व्यक्ति अपनी पीड़ा समझता हो समाज की धड़कन जिसकी अपनी धड़कन से हो कर गुजरती हो ,,,,उस महान आत्मा से मिलन के उन क्षणो को मैंने ठीक उसी तरह सहेज लिया जिस तरह कभी भगवान् से मिलन के क्ष णो को जिस तरह शबरी ने,,, महात्मा गाँधी से मिलन के क्ष णो को मीरा (मार्गेट ) ने और मार्क्स से मिलन के क्ष णो को जिस तरह उनके परम हितकारी और परम भक्त एंगेल्स ने सभाला होगा,, इसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है ,, इसे यूँ समझ सकते है दुनिया के सारे इतिहासों में वर्णित दीन से दीन और महान से महान व्यक्तियों के परस्पर मिलन का जो अनुपम सुख होगा वो मैंने अनुभव किया ,,, मै आज अकेले ही उन लोगो से लड़ने की हिम्मत रखता हूँ ,,जो ये कहते है की देश के सारे मुसलमान आतंक वादी है,,, मै इस एक मुसलमान का उदाहरण देकर उन मुसलमानों के पाप धोने का दंभ भर सकता हूँ जो आतंक वादी है ,,,,,और निरुत्तर कर सकता हूँ उन लोगो को जो कहते है की मुसलमान देश भक्त नहीं होते,,, मै हिन्दुओ मुसलमानों या फिर किसी अन्य धार्मिक माताबल्म्बी को ताल थोक कर कह सकता हूँ की आज मेरे पास एक आदर्श राष्ट्र भक्त है जो भारत का भावी कर्णा धार भी है,, मेरी इन बातो का मखौल भी उड़ाया जा सकता है ,, और अकबर खान राणा प्रति इसे मेरी अंध भक्ति का नाम भी दिया जा सकता है,,मगर येसा व्यक्ति जिसकी करनी और कथनी ने लेश मात्र भी अंतर न हो ,, वो जो कहता हो उसी में गर जीता हो तो उसे मै महात्मा या देव तुल्य न कहू तो फिर क्या कहूँ ,,,,जो व्यक्ति राणा अपने नाम के पीछे केवल इस लिए लगाए फिरता है ,, की भारत की अमिट संस्क्रति सभ्यता और पहिचान से उसका भी जुड़ाव उतना ही रहे जितना अन्य सभी रास्ट्र भक्तो का ,,,,,,सच में धन्य हो गया इस व्यक्ति की सच्चाई , सह्रदयता और राष्ट्र भक्ति को लेकर ,, यहाँ मै शायद कुछ भूल रहा हूँ जितना श्री अकबर खान राणा जी मुझे दिखे निश्चय उतनी ही या मै कहूँ उससे भी गहनतम श्रीमती अकबर खान राणा जी है ,,,,,क्यों की किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व की बनावट के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है ,,,, फिर वो चाहे माँ के रूप में हो या फिर पत्नी के रूप में,,, मेरे अनुसार अकबर खान जी में जो दीखता है वो श्रीमती अकबर खान जी के संयम को कर्तव्यों की भट्टी में तपाये जाने का फल है ,,,,,,,,
अकबर खान राणा जी के महान व्यक्तित्व की बनाबट में श्रीमती अकबर खान जी को ठीक उसी तरह नहीं भुलाया जा सकता जिस तरह वीर शिवाजी की महानता को देख कर जीजाबाई की शिक्षअओ और उपदेशो की महत्ता को कम कर के आँका नहीं जा सकता ,,,
अगर येसा होता है तो ये ठीक वैसे ही होगा जैसे महात्मा गांधी को ऊपर उठाकर कस्तूरबा गाँधी के तप और सयम को कम तर आंकना ,,,,
अतः श्री मति अकबर खान जी के त्याग हिम्मत और सहभागिता को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता ,,,,,
यहाँ एक व्यक्ति जिससे मै और प्रभावित हुआ बो है अकबर खान जी के मित्र गुरुमीत जी जो अपनी इच्छाओ के झूले में झूल रहे है जिसका जिक्र मैंने प्रारंभ में किया था ,, उम्मीद है जोइच्छाओं की इति होते ही समग्रता प्राप्त करेगे यही अकबर खान जी का प्रयाश और मेरी आशा है ,,,,,,

12 comments:

  1. ye kahna ki har musalmaan aatankvaadi hai nyaysangat nhi hai.......jahan hinduon ne apni jaan di hai to musalmaan bhi kabhi peeche nhi hate hain balki hinduon se bhi badhchadhkar hissa liya hai ..........mere father bataya karte the ki bharat pak yuddh ke samay ek musalmaan topchi tha jo kisi bhi pak ke jahaj ko aage nhi badhne deta tha uska nishana itna achook tha uska kahna tha ki jab takuske sharir mein pran hai ek bhi jahan bharat kiseema mein pravesh nhi kar sakta..........is waqt unka naam to yaad nhi aa raha magar na jaane aise kitne hi musalmaano ne bhi usi tarah desh ke liye pran diye hain jaise hindu dete hain aur phir yadi koi hindu bhi aatankvaadi ho to use kya kahenge? ye to sirf siyasatdaron ki chaalein hain jis bhatti mein wo desh ko jhulsaye rakhna chahte hain taki apni kursi bachi rahe nhi to har dil mein hindustan basta hai.

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  2. मैं भी धन्य हुआ क्योंकि आज जहाँ कथनी और करनी में अंतर सर्वव्याप्त है ऐसे लोग का होना निश्चित रूप से हमारे समाज और हमारे देश के लिए एक गर्व की बात है...जय भारत...प्रवीण जी आपने हमें ऐसे शक्स से मिलाया हम इसके लिया आपको धन्यवाद कहेंगे..

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  3. शानदार छवि..उम्दा प्रस्तुति....बधाई !!

    __________________
    ''शब्द-सृजन की ओर" पर- गौरैया कहाँ से आयेगी

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  4. Padhate padhte aankhen nam ho aayin..
    Ramnavmiki anek shubhkamnayen!

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  5. अच्छे और बुरे लोग किसी भी धर्म और सम्प्रदाय को मानने वाले समूहों में हैं....

    आपने बड़ा ही अच्छा किया जो एक नेक ,सच्चे इंसान के व्यक्तित्व के बारे में बताकर लोगों को अच्छा बनने के लिए प्रेरणा दिया....

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  6. Bada achha aalekh..Vandanaji ki tippanee bhi bahut pasand aayi!

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  7. सही कहा ऐसे भी मुसलमान होते हैं भाई हमसे मिल चुके हमारे जैसे भी होते हैं मुसलमान, बताना हम कैसे हैं

    वन्दना जी शायद तोपची वीर अब्दुल हमीद की बात कर रही हैं

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  8. फिर हाथ खान आई
    जिसमें थे मिले हम -तुम
    उस ख्वाब की परछाई

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  9. आपका शीर्षक ठीक नहीं लगा, हम दोनों ही इसी मिटटी से पैदा हुए और देशभक्ति और गद्दारी पर किसी वर्ग विशेष का कोई सम्बन्ध नहीं है ! संकीर्ण भावना को मानने वाले उतने ही दोषी हैं जितने इनको फैलाने वाले ! आशा है विचार करेंगे !
    सादर

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  10. सुन्दर .. देशभक्त तो दिल से होता है .. धर्म सभी को सत्मार्ग की ओर ले जाता है .. लेकिन अगर कोई कट्टर हो कर धर्म के नाम पर मानवता की हत्या करे तो वह आदम अपने धर्म का विनाश करता है .. ऐसे में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व से परिचय करवा कर आपने भी मानवता और देश के लिए अपने निजी स्तर से योगदान दिया .. और एक शिक्षाप्रद सन्देश पहुचाया .. आपका शुक्रिया ..

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